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जिलाध्यक्षों की नियुक्ति अटकी, संगठन महामंत्री तक रिपोर्ट, बीकानेर में भी उलझा हुआ है मंडल अध्यक्ष का मुद्दा

  • अवधि निकल गई, मंडल अध्यक्ष नहीं बन पाये
  • गुटबाजी, टकराहट के कारण लक्ष्य पूरा नहीं

RNE Network

भाजपा के राज्य में संगठन चुनाव में लगातार देरी हो रही है। जिस अवधि तक प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव हो जाना था उस अवधि तक मंडल अध्यक्ष भी नहीं चुने जा सके। भाजपा के संगठन महामंत्री बी एल संतोष की नाराजगी और गुस्से का भी कोई असर नहीं पड़ा है।


उन्होंने प्रदेश भाजपा को निर्देश दिया था कि 5 दिन के भीतर सभी मंडल अध्यक्षों का चुनाव हो जाना चाहिए। मगर वो 5 दिन भी निकल्क गये और एक भी मंडल अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाया। उनका स्पष्ट निर्देश था कि आधे अधूरे नहीं, पुर3 मंडल अध्यक्ष बनने के बाद ही जिलाध्यक्षो के चुनाव होंगे। ठीक इसी तरह पूरे जिलाध्यक्ष बनने के बाद ही प्रदेश अध्यक्ष का चुनाव होगा। मगर मंडल अध्यक्षों के कारण जिलाध्यक्षों के चुनाव भी अटक गये है। अभी तक कुछ भी नहीं हो सका है।


गुटबाजी व तकरार कारण:

जिन जिलों में मंडल अध्यक्ष का चुनाव नहीं हो पाया है वहां आपसी टकराहट व गुटबाजी ही इसका सबसे बड़ा कारण है। विधायकों व सांसद की सलाह लेनी है, मगर उनकी एक राय नहीं बन सकी है।

जयपुर, जयपुर ग्रामीण, सीकर, अलवर, उदयपुर, जालौर, बीकानेर सहित अनेक स्थानों पर गुटबाजी के कारण ही मंडल अध्यक्ष के चुनाव अटके हुए हैं। एक राय बन ही नहीं रही।

बीकानेर में भी विवाद:

बीकानेर में भी मंडल अध्यक्षों के चुनाव पूरे नहीं हो सके हैं। शहर में एक मंडल के अध्यक्ष की घोषणा अभी तक अटकी हुई है। क्योंकि शहर में एक भी एससी को अभी तक मंडल अध्यक्ष नहीं बनाया गया है और बचा केवल गंगाशहर मंडल है। बाकी मंडल अध्यक्षों की नियुक्ति पर भी विवाद है।

देहात में तो कोलायत के एक भी मंडल में अध्यक्ष नहीं बनाया जा सका है। यहां संगठन व विधायक के बीच एक राय नहीं बन सकी है। दिग्गज नेता देवीसिंह भाटी नियुक्त मंडल अध्यक्षों पर सवाल भी खड़े कर रहे हैं।

संगठन महामंत्री को रिपोर्ट:

संगठन चुनाव को लेकर आ रही दिक्कतों की पूरी जानकारी प्रदेश भाजपा ने संगठन महामंत्री बी एल संतोष तक पहुंचाई है। अब दिल्ली के दखल के बाद ही बात कुछ आगे बढ़ने की संभावना है।